आर्थो या न्यूरो-पीठ दर्द की समस्या का कौन अच्छा इलाज कर सकता है?/who can best treat back pain-ortho or neuro

हालांकि, जबकि आर्थोपेडिस्ट मस्कुलोस्केलेटल स्थितियों को संभालते हैं और रीढ़ के उपचार में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं, न्यूरोसर्जन का ध्यान मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और नसों का इलाज करते है।

आइए यहां इन दो प्रकार के चिकित्सकों के बीच अंतर और समानता का पता लगाएं।

न्यूरोसर्जन और हड्डी रोग सर्जन स्पाइन सर्जरी में विशेषज्ञ हो सकते हैं

रीड की हड्डी के रोगियों के लिए जानना महत्वपूर्ण है आर्थोपेडिक सर्जन और न्यूरो सर्जन दोनों ही स्पाइन की सर्जरी करते हैं।आज रीड की सर्जरी एक उभरता हुआ क्षेत्र है जिसमें दोनों विशेषताओं को शामिल किया गया है।हालांकि कई साल चीजे कुछ अलग थी, आज बड़ी संख्या में ऑर्थोपेडिक सर्जन और न्यूरो सर्जन दोनों ही रीड की सर्जरी के विशेषज्ञ हैं।

रीड की हड्डी में विशेषता वाले ऑर्थोपेडिक सर्जन और न्यूरो सर्जन दोनों ही रीड की हड्डी के डिस्क डिजनरेशन डिस्क हर्नियेशन,स्पाइनल स्टेनोसिस, रीड की हड्डी में फ्रैक्चर, इंफेक्शन,रीड की हड्डी के ट्यूमर आदि की देखभाल करने में कुशल हैं।

न्यूरो सर्जन:

न्यूरोसर्जरी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाले रोगों या विकारों वाले रोगियों के निदान और उपचार की चिकित्सा विशेषज्ञता है। तंत्रिका तंत्र(नर्वस सिस्टम) मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और नसों के साथ-साथ सेरेब्रोवास्कुलर सिस्टम की सर्जरी करता है।

एक न्यूरोसर्जन एक विशेषज्ञ होता है जो पूरे तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली स्थितियों का इलाज करने के लिए सर्जरी करता है। न्यूरोसर्जन अपने सर्जिकल अभ्यास को ब्रेन सर्जरी और स्पाइन सर्जरी के बीच बांटते हैं।

आर्थो पैडिक सर्जन:दूसरी ओर आर्थोपेडिक सर्जन रीढ़,पीठ और गर्दन से संबंधित विशेषज्ञ होता है।वह पूरे दिन,हर दिन गर्दन और पीठ पर काम कर रहा होता है। एक आर्थोपेडिक सर्जन रोगी की रोकथाम निदान उपचार से लेकर उसके पूरी तरह ठीक होने तक अनुसरण करता है। वाह भौतिक चिकित्सा के माध्यम से रोगी की प्रगति का लगातार अनुसरण करता है जब तक वह पूरी तरीके से ठीक नहीं हो जाता।

अतः न्यूरो सर्जन और आर्थोपेडिक सर्जन दोनों ही मरीज का स्पाइन के क्षेत्र में अच्छी तरीके से इलाज कर सकते हैं।

स्पाइन के कुछ क्षेत्रों में दोनों में अंतर है।

कुछ स्थान ऐसे हैं जहां पर अभी भी न्यूरो सर्जन और आर्थो सर्जन में अंतर है, जैसे केवल न्यूरो सर्जन को उसके 6-7 साल के रेजीडेंसी प्रोग्राम के दौरान स्पाइनल कैनाल के अंदर dura से जुड़ी हुई बीमारियोंकी सर्जरी करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। इसी प्रकार स्पाइनल कॉर्ड टयूमर , आर्कनाइड सिस्ट श्रीनगोमायलिया, चिआरी मालफोर्मेशंस, टेथर्ड स्पाइनल कॉर्ड, स्पाइना बिफिडा, स्कल बेस और ऊपरी सर्वाइकल स्पाइन टयूमर,नर्व रूट टयूमर,आदि भी न्यूरोसर्जन के विशिष्ट कार्य में आती है।

वहीं पर बच्चो की और वयस्क की स्कोलियोसिस,और दूसरी स्पाइनल डिफॉम्रिटीज अभी भी ऑर्थोपेडिक सर्जन के द्वारा इलाज किया जाता है।

आज मरीज के पास विकल्प है।

वर्तमान में, एक रोगी को एक न्यूरोसर्जन पर आश्रित रहने की ज़रूरत नहीं है जो “ज्यादातर मस्तिष्क की सर्जरी और थोड़ी सी रीढ़ की सर्जरी” करता है या एक आर्थोपेडिक सर्जन जो ज्यादातर “ज्वाइंट सर्जरी और थोड़ी सी रीढ़ की सर्जरी” करता है। एक रोगी आज या तो एक न्यूरोसर्जन या एक आर्थोपेडिक सर्जन के साथ परामर्श ले सकता है ।

मरीज को अपने आर्थोपेडिक सर्जन या न्यूरो सर्जन से उसके सर्जिकल फोकस अनुभव ,ट्रीटमेंट के बारे में अवश्य पूछना चाहिए ,इसमें हिचकिचाहट का अनुभव नहीं होना चाहिए। बात करने से डरिए मत क्योंकि आपका शरीर आपकी रीढ़ की परेशानी का सवाल है।

संक्षेप में

ऑर्थोपेडिक सर्जन और न्यूरो सर्जन दोनों ही पीठ और गर्दन की समस्याओं के इलाज के लिए योग्य हैं। हालांकि प्रत्येक सर्जन की उस फील्ड में उप विशेषता की पहचान करना महत्वपूर्ण है।

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आपको योग का अभ्यास क्यों करना चाहिए/Why you should practice yoga

अगर आप किसी योग चिकित्सक से योग को परिभाषित करने के कहें तो आपको विभिन्न प्रकार के उत्तर मिल सकते हैं।कुछ कहेंगे कि योग शरीर में अच्छा महसूस करने का एक तरीका है।कुछ के अनुसार यह एक आध्यात्मिक अभ्यास है और कई कहेंगे कि ये जीवन जीने का एक तरीका है।

लेकिन आपका दृष्टिकोण कुछ भी हो,योग आपके अभ्यस्त(habitual) या अचेतन(unconscious) पैटर्न को जानने और फिर से आकार देने में मदद करता है। योग का अभ्यास अनुशासन,आत्म जांच(self enquiry) और अनासक्ति(non-attachment) जैसी अच्छी आदतों के निर्माण के लिए आधार प्रदान करता है। यह अभ्यास आपको स्वस्थ और संपूर्ण जीवन जीने के लिए सशक्त बनाने का एक मार्ग भी है। युज शब्द जो योग से निकला है जिसका अर्थ है स्पष्टता शांति और खुशी।

पतंजलि के योग सूत्र के अनुसार योग को “मन भटकने की समाप्ति “के रूप में परिभाषित किया गया है।

योग की 8 अंग प्रणाली

पतंजलि के योग सूत्र में ही 8 अंगीय प्रणाली का वर्णन है जो मन से परे जाकर योगिक स्वतंत्रता प्राप्त करने का एक मार्ग है।

ये आठ अंग है।

1.यम(attitude towards environment)

2.नियम(attitude towards ourselves)

3.आसन(physical posture)

4.प्राणायाम(expansion of breath)

5.प्रत्याहार(withdrawal of senses)

6.धारणा(concentration)

7.ध्यान(meditation)

8.समाधि(complete integration)

आपकोयोग का अभ्यास क्यों करना चाहिए

21वीं सदी में ऐसे वातावरण में रह रहे हैं,जहां हमारा दिमाग और तंत्रिका तंत्र(nervous system) लगातार उत्तेजित और कार्यरत रहते हैं,

योग आपके दिमाग को धीमा करने और संतुलन की भावना को बहाल करने के लिए जगह प्रदान करता है

योगा का सबसे दिखायमान लाभ शारीरिक होता है यह आपके शरीर का लचीलापन बनाए रखने ,शरीर को मजबूती प्रदान करने और चलायमान रखने व संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है।

योग के दौरान आपका शरीर पूरी तरह से विभिन्न प्रकार की गतियों से गुजरता है जो तनाव या खराब पोस्चरल आदतों से जुड़े दर्द को कम या समाप्त कर सकते हैं


योग तनाव और विश्राम में मदद करता है

योग का एक और महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह तनाव कम करने में मदद करता है।तनाव का एकत्रित होना आपके तंत्रिका तंत्र को तेज गति से चलाने का कारण बन सकता हैजिससे आराम करना, ध्यान केंद्रित करना और सोना मुश्किल हो जाता है।योग के दौरान आप जिस स्वास व्यायाम का अभ्यास करते हैं वह तंत्रिका तंत्र को आराम देनेऔर हृदय गति को कम करने में मदद करता है। यह बेहतर नींद व बेहतर फोकस बढ़ाने में मदद करता है।

अधिक आध्यात्मिक पृष्ठभूमि वाले लोगों के लिए योग अभ्यास का प्रभाव भौतिक शरीर से परे जाकर भी महसूस होता है।

संक्षेप में योग का अभ्यास करने से शरीर में जागरूकता, लचीलापन,ताकत गतिशीलता और संतुलन में मदद मिलती है,यह तनाव को कम करने,ध्यान को बढ़ाने और अपने स्वयं के साथ एक मजबूत संबंध को बढ़ावा देने में मदद करता है।

योग कैसे शुरू करें

ऐसा नहीं है कि एक जैसा योग सभी के लिए उपयुक्त हो इसलिए अगर आप योगा पहली बार शुरू करना चाह रहे हैं, तो सबसे अच्छा यह होगा की आप अलग अलग तरीके के योगा के प्रारूप पहले आजमाएं और जो भी आपके लिए आप को सबसे उपयुक्त और अच्छा लगे,वह शुरू करें।

यहां पर योग के कुछ मुख्य प्रारूप दिए गए है।

1. अयंगर:जो लोग शरीर के पोस्चर, एलाइनमेंट में बेहतरी और मांसपेशियों की शक्ति और गति बढ़ाना चाहते है,उनके लिए अयंगर योग उपयुक्त है।

2.अष्टांग:इसमें सांस पर काफी जोर दिया जाता है और उसके साथ साथ आसनों को भी तेजतर्रार और शरीर रूप से चुनौतीपूर्ण तरीके से किया जाता है। पारंपरिक क्लासेस में पानी पीने को भी मना किया जाता है और आप अगले मुद्रा पर तभी जा सकते हैं, जब आप ने उससे पहले वाली पूरी कर ली हो।

3. हठयोग: इसमें भी योगासन और स्वांस को शामिल किया गया है,इसकी क्लासेज धीमी चलती है पर योग की मुद्रा को देर तक धारण करना पड़ सकता है जो थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसका हठ या जबरदस्ती से कोई लेना देना नही है।

4.विन्यास योग:यह योग सांस के साथ शरीर की गति को सिंक्रोनाइज करता है। क्लासेज की गति पारम्परिक हठ योगा की तुलना में तेज होती है।

5.कुण्डलिनी योगा:इसयोग में मानव शरीर के भीतर 7 चक्रों का वर्णन किया गया है।कुंडलिनी को जब ध्यान के द्वारा जागृत किया जाता है, तब यही शक्ति जागृत होकर मस्तिष्क की ओर बढ़ते हुए शरीर के सभी चक्रों को क्रियाशील करती है।कहने का मतलब कि इसमें सास और योगा के साथ साथ मेडिटेशन के माध्यम से कुंडलिनी चक्र को जागृत किया जाता है जिससे स्प्रिचुअल लेवल पर भी जीवन में बेहतर होते हैं। कुंडलिनी योगा बिना अच्छे गुरु की सहायता के कर पाना मुश्किल होता है।

6.जीवमुक्ति योग:इसमें मेडिटेशन ,जाप,व डीप लिसनिंग,संस्कृत उच्चारण शामिल है। जो आध्यात्मिक तत्वो और योग की प्राचीन शिक्षाओ को अपने अभ्यास में शामिल करना चाहते है,उनके लिए उपयुक्त है।

7.बिक्रम योग:इसमें दो सांस लेने की तकनीक और 26 योगा पोज उसी क्रम में बार-बार 90 मिनट तक दोहराए जाते हैं।अक्सर शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद के लिए कमरे को 105 डिग्री फॉरेनहाइट पर गर्म रखकर योगाभ्यास किया जाता है।

इन उदाहरणों के अतिरिक्त भी विभिन्न तरह की योगा टेक्निक है जिनमें से आप चुन सकते हैं ।योग का अभ्यास कोई भी हो पर उसमें एक चीज समान है और वह है स्व उपचार(self healing)।

आप चाहे यिन का अभ्यास चुने या फिर विन्यास योग को पसंद करें,किसी भी शैली को करने से आपको अपने अंदर मुड़ने और अपने बारे में अधिक जानने में मदद मिलती है।और आप अपने आसपास के लोगों और दुनिया के लिए अधिक सेवा करने के लिए इच्छुक बनते हैं।

अगर योग की शुरूवात कर रहे हैं तो क्या अपेक्षा करें

कोई भी नया कार्य शुरू करने पर एक्साइटमेंट या बैचैनी होना स्वाभाविक है।आपकी इस समस्या को सुलझाने के लिए यहां पर कुछ सुझाव दिए जा रहे है कि जैसे कहां योगाभ्यास शुरू करना चाहिए, योगा क्लासेस से क्या अपेक्षा करें,और योगाभ्यास को अगले स्तर तक ले जाने के लिए क्या करें।

कहां से शुरु करें

योगा क्लास के लिए ऐसी जगह चुनें जो पास में हो और आप आसानी से पहुंच सकें और आपके टाइम शेड्यूल में उपलब्ध हो,ज्यादातर योग क्लासेस होती हैं:

  • प्राइवेट योगा प्रशिक्षक द्वारा
  • पास के योगा स्टूडियो में
  • आउटडोर योगा
  • ऑनलाइन योगा प्रोग्राम और वेबसाइट
  • जिम और क्लब में
  • कार्यक्षेत्र में(कॉरपोरेट योगा)

शुरू करते समय ऐसा लक्ष्य बनाएं की आप हफ्ते में एक या दो क्लास कर सकें और इसे कुछ महीनों तक जारी रखें। इस तरह आप योग के आसनों और क्लास की निरंतरता के साथ परिचित हो जाएंगे।

एक नए छात्र के रूप में योगा क्लासेस में क्या करें

अपना योगा मैट और पानी साथ लेकर जाएं। जहां गर्मी में क्लासेज होती हैं वहां एक तौलिया भी साथ में रखना चाहिए।

कई योग आश्रम या योग स्टूडियो में नौसिखियो के लिए शुरुआती क्लासेस या मौलिक कार्यशालाए आयोजित की जाती है। यह नौसिखिए और प्रशिक्षित दोनों तरह के छात्रों के लिए समान होती है।यह शुरुआती कक्षाएं धीमी गति वाली होती हैं जिससे आप शरीर के एलाइनमेंट और योगा पोज बनाने में अधिक ध्यान केंद्र कर पाते हैं।

अगर आप नौसिखिए है और योगा पोज से बिल्कुल परिचित नहीं हूं या फिर होने वाली चोटों से आशंकाग्रस्त है तो आप समूह क्लास शुरू करने से पहले अपने लिए अलग से एक योगा इंस्ट्रक्टर की क्लास कुछ दिन तक ले सकते हैं।

योग कक्षा से क्या अपेक्षा करें।

ज्यादातर ग्रुप योगा कक्षाएं 60 मिनट ,75 मिनट, या 90 मिनट की होती है। योगा शिक्षक आपको सांस और योगा पोज के बारे में मार्गदर्शन देते हैं।योग कक्षा का अंत कई मिनट तक पीठ के बल आंखें बंद करके लेटने से होता है जिसे शवासन कहते हैं।इस समय आपका शरीर और सांस पूरी तरह आराम की स्थिति में होते हैं ।शवासन ऐसा अवसर है जिसमें आप योगाभ्यास के भौतिक प्रभाव को अपने शरीर के साथ जुड़ता हुआ महसूस करते हैं।

कक्षा के बाद यदि आपके पास किसी योग मुद्रा या और किसी बात को लेकर कोई प्रश्न है तो उसे योग शिक्षक से अवश्य पूछना चाहिए।

निरंतरता योग में सफलता के लिए अत्यंत आवश्यक है। योग से शरीर में होने वाले भौतिक प्रभावों को अनुभव करें।

जब आप मूल(fundamental) योग मुद्राओं से सहज हो जाए तो आप घर पर भी योगाभ्यास शुरू कर दें।

आप योग वाले दिन और बिना योग वाले दिन अपने शरीर और अपने आसपास में होने वाले प्रभाव में जरूर अंतर महसूस करेंगे।

योग के बारे में एक सबसे अच्छी बात यह है कि आपको योग शुरू करने के लिए किसी विशिष्ट सामान या गियर की आवश्यकता नहीं होती है,केवल पहला कदम उठाने की इच्छा ही वास्तव में इसका पहला उपकरण है।

कैसे योग में अपनी सफलता या प्रोग्रेस को मापें

आपके लिए सफलता का क्या अर्थ होगा?क्या यह शरीर का टोन अप होना या डि -स्ट्रेस होना है?योगा में सफलता मापने के लिए ओवराल एक संतुलित नजरिया होना चाहिए।

शारीरिक सफलता को मापने के लिए यह देखें:

  • शारीरिक दर्द या असहजता में कमी
  • गति(movements) में सरलता और बढ़ोतरी
  • शारीरिक शक्ति और सहनशक्ति में वृद्धि
  • बेहतर नींद की क्वालिटी और आदतें, बढ़ा हुआ और स्थिर शारीरिक ऊर्जा का स्तर
  • संतुलित वजन का स्तर
  • कपड़ों की फिटिंग
  • मानसिक सुधार को मापने के लिए यह देखें:
  • तनाव और मूड स्विंग में कमी
  • भावनात्मक जागरूकता में वृद्धि या भावनात्मक परिस्थितियों में संतुलन
  • स्वयं को अधिक जानना और वर्तमान में अधिक जीने की शक्ति या चाहत
  • मानसिक क्लैरिटी और लचीलापन
  • शरीर में संवेदना और अहंकार की प्रतिक्रियाओं के बारे में गहरी जागरूकता
  • सांस की गुणवत्ता पर बेहतर नियंत्रण

अंतिम वाक्य:

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने लक्ष्य क्या बनाया है पर निश्चित तौर पर योगा आपके शरीर और दिमाग को एक साथ लाने का काम करता है,चाहे योगा का कोई भी प्रारूप क्यों ना हो।योगा का समर्पित अभ्यास आपके जीवन के सभी आंतरिक और बाहरी पहलुओं को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रभावित करेगा ।और इसमें धैर्य की भी भूमिका होगी।व्यक्तिगत अभ्यास के गहरे लाभों को महसूस करने में महीनों या वर्षों का समय लग सकता है।

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कैसे खुद चेक करें की आप का पोस्चर सही है या नहीं/how to check yourself that your posture is correct or not

21वीं सदी के युग में पोस्चर(मुद्रा) की समस्या बहुत ही आम हो गई है , यह चाहे ज्यादा देर बैठ कर काम करने की वजह से हो या फिर गैजेट पर गर्दन झुका कर काम करने की वजह से या फिर गलत तरीके से बैठने और खड़े होने की वजह से। और इस कारण बुजुर्ग ही नहीं युवा भी गर्दन में दर्द, पीठ में दर्द ,कमर में दर्द और हाथ पैर में दर्द की समस्या से ग्रसित हो रहे हैं कई बार हमें यह भी नहीं पता चल पाता है यह दर्द हमें किसी बीमारी की वजह से है या ,हमारे गलत मुद्रा में बैठने झुकने या खड़े होने की वजह से है। निश्चित रूप से यह बड़ा मुद्दा है क्योंकि खराब मुद्रा की वजह से आपका स्वास्थ्य गिर सकता है ,आपकी मांसपेशियां और जोड़ अपनी पूरी क्षमता से प्रदर्शन करने में असमर्थ हो सकते हैं और आप कैसे दिखते हैं, कैसे चलते हैं इस पर भी बड़ा असर पड़ता है। इस ब्लॉग में हम बुरे और सही पाश्चर के लक्षण देखेंगे और हम स्वयं कैसे अपना पोस्चर टेस्ट कर सकते हैं यह सीखेंगे।

सही पाश्चर क्या होता है और इसे कैसे देखेंगे?

Courtesy of freedomand fulfilment.com

आपका सर सीधा और न्यूट्रल पोजीशन में होना चाहिए यह आगे की ओर झुका हुआ नहीं होना चाहिए आपकी ठोड़ी सीधी और ऊपर सामने होनी चाहिए आपके कान कंधों की सीध में होनी चाहिए कंधे और कूल्हे की हड्डियां एक लाइन में होनी चाहिए और आपके घुटने और एड़ी भी एक सीध में होनी चाहिए अपना पोस्टर खुद देखने में कठिनाई हो सकती है इसलिए आप या तो किसी की मदद ले सकते हैं या एक आदम कद शीशे का सहारा ले सकते हैं या फिर कोई और आपकी सामने से और बगल से तस्वीर ले और फिर आप उस तस्वीर को निरीक्षण करके और उसे सही पाश्चर के साथ तुलना करके देख सकते हैं।

खुद पोस्चर टेस्ट कैसे करें

आप अपना पोस्चर घर पर ही बिना किसी मशीनरी की सहायता के कर सकqते हैं केवल एक आदमी की जरूरत होगी जिसके पास नापने की स्केल या नापने का टेप हो।

पहला तरीका: एक शीशे के सामने ऐसे खड़े हो ताकि आपके बगल का व्यू दिखाई दे अब यह देखिए की आपकी गर्दन आगे की ओर तो नहीं जा रही है, ठोड़ी और गर्दन ऊपर उठाएं ताकि आपके कान और कंधे एक लाइन में हो और आपके कान कंधार कूल्हा घुटना और एड़ी यह पांचों एक सीध में है या नहीं।

दूसरा तरीका:1.एक दीवाल से ऐसे सट कर खड़े हो जाएं ताकि आपका कंधा और कूल्हा दीवाल से चिपका हुआ हो और आपके पैर की एड़ी दीवाल से 6 इंच आगे हो ऐसी स्थिति में यह देखें कि अगर आपकी गर्दन और सर आगे की तरफ झुका हुआ है तो उसको पीछे की तरफ लाकर दीवाल से सटाने की कोशिश करिए लेकिन बिना कूल्हा और कंधा दीवाल से हटाए हुए ,अगर सर आपका दीवाल से नहीं सट रहा है तो आप का पोस्चर गलत है ।सर और दीवाल के बीच की दूरी को नापें यह दूरी अगर 2 इंच से ज्यादा है तो भी आप का पोस्टर गलत है। ।

2.अपनी कमर के निचले हिस्से में पीछे जगह में अपने हाथ को लेकर जाएं अगर हाथ आपकी कमर के निचले भाग पर अंदर आराम से चला जाता है तो आप का कमर का पोस्टर ठीक है और अगर नहीं जाता है तो पोस्चर ठीक नहीं और आपको लॉर्डोसिस जो सामान्यतः होती है वह नहीं है। इसके अलावा हाथ की मुट्ठी कमर के निचले भाग पर अंदर ले जाकर देखें अगर हाथ की मुट्ठी अंदर चली जाती है यह भी सामान्य नहीं है यानी कि आपकी कमर हाइपरलॉर्डोसिस में हो सकती है।

खराब पोस्चर सही करने या उससे बचने के कुछ व्यायाम

Child pose

कैट कॉउ व्यायाम

चेस्ट ओपनर

चाइल्ड पोज

पादहस्तासन

चिन टक

अधोमुखश्वानासन(downward facing dog)

वॉल स्लाइड

लंबर फोम रोलर(लॉर्डोसिस के लिए)

पाश्चर सही करने के लिए किए जाने वाले कुछ व्यायाम आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं।https://youtu.be/jeRy1MqzhV4

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क्या तैराकी से कमर दर्द में लाभ होता है/can swimming help in back pain

अगर आप तैराकी के या पानी के शौकीन हैं और कमर दर्द से भी परेशान हैं तो आप ये सोच रहे होंगे कि क्या तैराकी कमर दर्द को कम करने में मदद कर सकती है।पर सच बात यह है कि तैरना कमर दर्द का कारण भी हो सकता है और कमर दर्द से छुटकारा पाने का समाधान भी हो सकता है। अगर सही तरीके से किया जाए तो तैराकी कमर दर्द के लिए बहुत अच्छा व्यायाम साबित हो सकता है।तो इस ब्लॉक में बात करेंगे कि कैसे तैराकी आपकी पीठ को मदद या नुकसान पहुंचा सकती है।

तैराकी कैसे कमर दर्द कम करने में मदद करती है

पानी की उछाल(buoyancy) गृत्वाकर्षण बल को कम कर के रीढ़ की हड्डी पर आने वाले दबाव बल को कम करती है,जिससे आप ये कार्डियो व्यायाम(तैराकी) बिना दर्द के कर पाते हैं और इससे पैरास्पिनल मांसपेशियों का स्ट्रेंग्ठनिंग व्यायाम भी हो जाता है।पैरास्पिनल मांसपेशियों का व्यायाम और कार्डियो दोनो ही कमर दर्द में फायदा पहुंचाते हैं।

कुछ शुरुआती वॉर्म अप/जरूरी है

अगर आपको लगता है कि आप कुशल तैराक नहीं है तो आपको पहले तैराकी सीखना चाहिए क्योंकि बिना सीखे हुए तैराकी करने पर कमर दर्द बढ़ सकता है इसके अतिरिक्त आप स्विमिंग पूल की गहराई में चलकर या साईकिल चलाने की मुद्रा बनाने का वॉर्म अप कर सकते हैं।

कमर दर्द के लिए सबसे अच्छा तैराकी का तरीका क्या है

बैकस्ट्रोक

आपके तैराकी कसरत के लिए आपके द्वारा चुने गए स्ट्रोक या तो आपकी पीठ को मदद करेंगे या नुकसान पहुंचा सकते है।

इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप ऐसे स्ट्रोक्स ही करें ये आपकी रीढ को प्रेटेक्ट करेंगे और दर्द को नियंत्रण में रखेंगे।

“पीठ दर्द वाले व्यक्तियों के लिए सबसे सुरक्षित स्ट्रोक फ्रीस्टाइल और बैकस्ट्रोक हैं।

पीठ के निचले हिस्से में दर्द वाले व्यक्तियों के लिए बैकस्ट्रोक एक अच्छा स्ट्रोक होता है क्योंकि इसमें आमतौर पर पीठ के निचले हिस्से पर कम तनाव होता है। जब आप अपने पेट के बल तैरते हैं, तो वे अपने सिर और छाती को पानी से बाहर रखने की कोशिश में अपनी पीठ को झुकाते हैं। यह उनके पैरों को पानी में और डूबने के लिए मजबूर करता है और उनकी रीढ़ की हड्डी को हाइपरेक्सटेंशन पोजिशन में ले जाता है।

बैकस्ट्रोक(इसमें पीठ के बल तैरते हैं) इस हाइपरेक्सटेंशन को कम करने और रीढ़ की मुद्रा में सुधार करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, बैकस्ट्रोक करते समय एब्स को घुमाने से कोर की मांसपेशियों की ताकत में सुधार करने में मदद मिलती है।

कमर दर्द के लिए कितनी बार कितनी देर तक तैराकी करना चाहिए

तैरना आपको इतना अच्छा लग सकता है कि आप हर दिन पूल में जाना चाहेंगे लेकिन व्यायाम के प्रत्येक रूप की तरह – खासकर जब आप पीठ दर्द से जूझ रहे हों – संयमित होना बहुत जरुरी है ताकि आप अत्यधिक उपयोग से होने वाले नुकसान से बच सकें।

यह प्रत्येक तैराक पर निर्भर करता है, पीठ दर्द से निपटने वालों के लिए ये सलाह है कि गतिविधि करते समय(तैरते समय) दर्द को बढ़ाने वाली किसी भी गतिविधि से बचें।

“पोस्ट-एक्टिविटी सोरनेस(खिंचाव, दर्द) जो कुछ घंटों के भीतर गायब हो जाती है, ठीक है। गतिविधि के बाद की सोरनेस जो अगले दिन तक बनी रहती है, एक चेतावनी संकेत है कि आप बहुत अधिक कर रहे हैं।”

सामान्य तौर पर सप्ताह में दो बार से शुरुआत करना चाहिएऔर जैसे-जैसे सहज महसूस करें सप्ताह में 4 -5बार तक जा सकते हैं।

अंतिम वाक्य

तैराकी या किसी भी प्रकार का व्यायाम करते समय, लाभ पूरी तरह से व्यक्ति विशेष और पीठ की स्थिति के प्रकार पर निर्भर हैं। हम सभी प्रकार के व्यायाम को एक जैसा नहीं बता सकते, या यह नहीं कह सकते कि तैराकी कमर दर्द के अन्य व्यायामो की तुलना में अधिक प्रभावी हैं।

सामान्य तौर पर गठिया और स्पाइनल स्टेनोसिस वाले मरीज तैराकी में ज्यादा अच्छा लाभ प्राप्त करते हैं, यह तैराकी में पीठ पर पड़ने वाले कम गुरुत्वाकर्षण की वजह से संभव होता है।

अन्य परेशानी वाले लोग तैराकी करते समय अपनी गतिविधि को अपने दर्द के अनुसार संयमित होते हुए तैराकी कर सकते हैं।

स्लिप डिस्क द कांसेप्ट समझने के लिए इस लिंक पर यूट्यूब वीडियो देखें।

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नमक स्नान कमर दर्द में कैसे सहायक है/how salt bath benefits in back pain

क्या नमक स्नान कमर दर्द कम करता है? नमक स्नान कमर दर्द कैसे कम करताहै? यह प्रश्न आपके दिमाग में जरूर आएंगे।

ज्यादातर लोगों को जीवन में कभी ना कभी कमर दर्द होता है और वो डॉक्टर की सलाह लेते हैं। सौभाग्य से काफी मात्रा में कमर दर्द घर पर ही उपचार लेकर ठीक किए जा सकते हैं। एक घरेलू उपचार जो सदियों से चला आ रहा है वह है एप्सम साल्ट(epsom salt) स्नान।

मूलतः इसकी खोज इप्सम इंग्लैंड के पानी में हुई थी जिसके बाद से इप्सम नामक स्थान इंग्लैंड में एक चर्चित जगह बन गई थी जहां लोग आकर उस पानी में स्नान करके दर्द से राहत पाते थे। आजकल खिलाड़ी व अन्य दूसरे लोग भी इस नमक के स्नान का उपयोग नियमित तौर पर करते हैं कई तरह के दर्द से राहत पाने में जिसमें कमर दर्द भी शामिल है।

एप्सम साल्ट के बारे में

एप्सम साल्ट देखने में तो साधारण नमक की तरह दिखता है परंतु इसकी रासायनिक संरचना अलग है। वैज्ञानिक भाषा में इसे मैग्नीशियम सल्फेट हेपा हाइड्रेट कहते हैं इसके दो मुख्य तत्व मैग्नीशियम और सल्फेट त्वचा से शरीर में अवशोषित होते हैं। मैग्नीशियम सूजन कम करता है और तंत्रिका और मांसपेशियों के कार्य प्रणाली में सुधार करता है ,सल्फेट पोषक तत्वों को शरीर में अवशोषित करने में मदद करता है, हानिकारक तत्वों को शरीर से बाहर निकालता है और माइग्रेन जैसे सर दर्द को कम करने में भी मदद करता है।

इप्सम साल्ट कमर दर्द कैसे कम करता है?

काफी लोग नमक के स्नान का काफी समय से इस्तेमाल कर रहे हैं कई खिलाड़ी भी नमक स्नान को घरेलू उपचार की तरह दिनचर्या के रूप में दर्द से राहत पाने के लिए इस्तेमाल करते हैं पर अभी तक इसके प्रभावों का चिकित्सकीय प्रमाण उपलब्ध नहीं है, कुछ अनुमानित तथ्य निम्नलिखित हैं

1. सूजन को कम करना कई लोगों को कमर दर्द चोट व्यायाम की अधिकता या अन्य किसी बीमारी की वजह से होता है जिसकी वजह से मांसपेशियों में सूजन आती है, epsom salt सूजन व इन्फ्लेमेशन कम करता है जिसकी वजह से कमर दर्द में आराम मिलता है।

2. मांसपेशियों को ढीला करना

कई कारणों की वजह से मांसपेशी में तनाव होता है, कमर की तनावग्रस्त मांसपेशी कमर दर्द का कारण बनती है नमक स्नान मांसपेशियों का तनाव कम करता है। इसके अलावा इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस को भी ठीक करता है।

इप्सम नमक को कमर दर्द के लिए कैसे इस्तेमाल करते हैं

इस्तेमाल के लिए इन बुनियादी दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए।

१. बाथ टब में गुनगुना गर्म पानी भरें, छूकर सुनिश्चित कर ले यह बहुत अधिक गर्म ना हो

२. चलते हुए पानी में एक या दो कप इप्सम साल्ट डालें,जिससे ये अच्छी तरह घुल जाए।

३. टब में ऐसे बैठे ताकि आपके कमर के दर्द वाला स्थान पूरी तरीके से पानी में डूबा हो कम से कम 10 मिनट तक इसमें बैठे । नमक स्नान के बाद आप रिलैक्स और दर्द से राहत महसूस करेंगे। ज्यादा रिलैक्सेशन के लिए इसके साथ एसेंशियल ऑयल या एरोमाथेरेपी का भी सहारा ले सकते हैं।

अधिकतम 15 से 20 मिनट तक साल्ट बाथ लेना चाहिए।हफ्ते में कई बार इसे लिया जा सकता है,ये आपको कमर दर्द की गभीरता पर है,ज्यादातर मामलों में हफ्ते में 3 बार नमक स्नान पर्याप्त है।

इसके अलावा कुछ और रोगों में भी नमक का स्नान घरेलू उपचार की तरह इस्तेमाल किया जाता है यह रोग हैं:

  • गठिया के दर्द और सूजन में
  • मोच आना
  • फाइब्रोम्यालजिया
  • नींद न आना(इनसोम्निया)
  • सोरायसिस
  • व्यायाम के बाद मांसपेशियों में दर्द
  • कीमोथेरेपी और डायरिया के बाद होने वाला मांसपेशियों का दर्द
  • माइग्रेन
  • थकावट के बाद का दर्द
  • तेज धूप के बाद लालिमा और दर्द
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गलत पोजीशन में सोने से गर्दन के दर्द से राहत पाने के 7 तरीके

वैसे तो गर्दन के दर्द के बहुत सारे risk factors हैं जैसे काम करते समय आपकी मुद्रा(posture) और गर्दन की पोजिशन।पर एक जोखिम या रिस्क फैक्टर जिसका जिक्र बहुत कम होता है,

कि सोते समय हम किस मुद्रा में सोते हैं।

आपकी रीढ़ स्वाभाविक रूप से तीन जगहों पर झुकती है। यह आपकी गर्दन और पीठ के निचले हिस्से पर आगे की ओर झुकता है। यह आपके पीठ के ऊपरी हिस्से में दूसरी तरफ झुकती है। इन प्राकृतिक झुकाव को सर्वोत्तम रूप से बनाए रखने के लिए अपना बिस्तर सेट करने से आपको गर्दन या पीठ दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है।

जर्नल ऑफ फिजिकल थेरेपी एंड साइंस द्वारा किए गए शोध के अनुसार तीन अलग अलग पोजीशन में सोने पर गर्दन की मांसपेशियों पर अलग अलग प्रभाव पड़ता है।

ये सोने की 3मुद्राएं निम्नलिखित हैं

1.पीठ के बल और दोनो हाथ बगल में करके लेटना(BHS position)

2.पीठ के बल और दोनो हाथ सीने पर रख कर लेटना(BHC position)

3. पीठ के बल और प्रमुख हाथ सर(माथे) पर रख कर लेटना(DHF position)

यह पाया गया है, कि सोते समय मांसपेशियों की सबसे कम सक्रियता BHC position ( पीठ के बल और दोनो हाथ बगल में करके लेटना) में होती है,और इसलिए पीठ के बल लेटी जाने वाली इन तीनों मुद्राओं में यह सबसे सही मुद्रा है और अगर आप पीठ के बल लेटते है तो इस मुद्रा में लेटना चाहिए ।

1.पीठ के बल और दोनो हाथ बगल में करके लेटना(BHS postion)

इस मुद्रा का अभ्यास करें

यह मुद्रा शवासन की तरह है, जब आप पीठ के बल लेटते हैं तो दोनों पैरों के बीच में थोड़ी दूरी हो और दोनों हाथ बगल में आराम की स्थिति में पड़े हो। सर गर्दन की सीध में हो बिना इधर-उधर गिरे हुए इस पोजीशन में गर्दन की मांसपेशियों की सक्रियता उपरोक्त तीनों में सबसे कम होती है इसलिए यह पोजीशन पीठ के बल लेटने वाली सभी स्थितियों में सर्वोत्तम है।

2.पीठ के बल और दोनो हाथ सीने पर रख कर लेटना(BHC position)

हो सके तो इस स्थिति में ना लेटे

वैसे ये मुद्रा DHF position से बेहतर है, पर ट्रेपीजियस मांसपेशी के ऊपरी भाग में थोड़ी बहुत सक्रियता रहती है जिसकी वजह से गर्दन में दर्द व सुन्नपन हो सकता है। अगर हो सके तो यह मुद्रा टाल देना चाहिए।

3.पीठ के बल और प्रमुख हाथ सर(माथे) पर रख कर लेटना(DHF position)

इस मुद्रा में बिलकुल नहीं सोना चाहिए

यदि आप उन व्यक्तियों में से एक है जो अपना एक हाथ माथे पर रख कर सोते हैं, तो आप अपने गर्दन के दर्द को बढ़ावा दे रहे हैं। जब आप इस मुद्रा में सोते हैं तो एक तरफ की ट्रेपीजियस और स्केलीन मांसपेशियां सक्रिय हो जाते हैं, यह असंतुलित सक्रियता गर्दन में ऐंठन पैदा करती है जिसकी वजह से गर्दन में पैदा होता है।

इसके अलावा कुछ और उपाय निम्नलिखित है

4. करवट लेकर सोना

अगर आप करवट लेकर सोने में सहज है, तो यह मुद्रा आपकी गर्दन के लिए सबसे ज्यादा सही है। सिर्फ ध्यान रखने वाली बात ये है इतना ऊंचा तकिया लगाए आपकी गर्दन तटस्थ(न्यूट्रल )स्थिति में रहे। इसे आप चेक कर सकते हैं ऐसे कि आपके दोनों कान लंबवत समानांतर रहें , यानि उपरी कान कंधे की तरफ ना झुका हो।

अपनी ठोड़ी को सामने रखें सीने की तरफ ना झुकाएं। अपनी निचली रीढ़ को समानांतर रखने के लिए दोनों घुटने के बीच में तकिया लगा सकते हैं।

5. पेट के बल न सोए

पेट के बल सोने से आपका सर कुछ घंटों तक मुड़ा रह सकता है जिससे गर्दन में दर्द होने की संभावना होती है।

6. सही तकिया इस्तेमाल करें

अगर आप पीठ के बल सोते हैं या करवट लेकर सोते हैं दोनों परिस्थितियों में अलग अलग तरह का तकिया इस्तेमाल करना चाहिए।

अगर पीठ के बल सोते हैं

पीठ के बल सोने पर अपनी गर्दन के प्राकृतिक मोड़(lordotic curve) को सपोर्ट करने के लिए गोलाकार तकिया का इस्तेमाल करना चाहिए और सर के नीचे चपटा तकिया रखना चाहिए। वैकल्पिक तौर पर तोलिया को मोड़ कर भी गर्दन के नीचे रख सकते हैं या फिर विशिष्ट बने बनाए तकिए का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जिसमें नेक सपोर्ट होता है और सर के सपोर्ट के लिए एक गड्ढा बना होता है।

बहुत ऊंचा या कड़ा तकिया इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे गर्दन आगे की ओर फ्लेक्स रहती है और सुबह दर्द कर सकती है।

या तो फेदर फोम तकिए का इस्तेमाल करें जो काफी मुलायम होता है और सर और गर्दन का आकार ले लेता है पर इसको साल भर बाद बदलना जरूरी होता है इसके अतिरिक्त मेमोरी फोम तकिए का इस्तेमाल भी कर सकते हैं यह ज्यादा दिनों तक चलता है।

अगर करवट लेकर सोते हैं

करवट लेकर सोने वालों के लिए गर्दन के नीचे ऊंचा मुलायम तकिया और सर के नीचे पतला तकिया लगाना चाहिए इस तरह से ताकि गर्दन और सर दोनों एक स्तर पर रहें।

अगर आप हवाई जहाज रेलगाड़ी या बस यात्रा कर रहे हैं तो घोड़े की नाल के आकार के तकिए का इस्तेमाल करना चाहिए जो आपके सर और गर्दन दोनों को सहारा देता है।

7. उचित दवाएं लें और गर्दन का व्यायाम करें।

NSAID और मसल रिलाक्सनट और कुछ स्ट्रेचिंग और स्ट्रेंथनिंग व्यायाम है जो करना चाहिए। इसके लिए स्पेशलिस्ट से सलाह लें। व्यायाम के लिए मेरा यू ट्यूब चैनल हमारी हेल्थ देखें।

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क्या कमर में दर्द के लिए बेल्ट/ब्रेस जरूरी है।/is brace necessary for back pain

पीठ की कई समस्यायों में हमें बेल्ट या ब्रेस पहनने की सलाह डाक्टर द्वारा दी जाती है,पर इसको लेकर कई बार हमारे मन मे संदेह बना रहता है,जैसे

  • क्या मुझे ये पहनना चाहिए?
  • क्या इससे मेरी मांसपेशी दुर्बल हो जायेगी?
  • क्या बेल्ट की मुझे आदत तो नहीं पड़ जायेगी?
  • क्या सोते समय मुझे इसे पहनना है?
  • क्या इसे पहनकर मैं गाड़ी चला सकता हूं?
  • क्या इसे मुझे हमेशा पहननना होगा?
  • क्या इसे पहनने से मुझे कोई नुकसान तो नही होगा?
  • क्या ये बेल्ट या ब्रेस वास्तव में मेरी कमर दर्द की समस्या ठीक कर देगी?

जब भी कमर के बेल्ट या ब्रेसकी बात आती है तो सबसे प्रभावी इसे पहनना तब होता है जब हम इसे विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह से इस्तेमाल करते हैं।

ऐसी स्थितियां जहां बैक ब्रेस उपयोगी हो सकता है:

  • मोच / तनाव(स्ट्रेन/स्प्रेन) – तीव्र
  • पोस्ट-ऑपरेटिव सपोर्ट: डिस्केक्टॉमी, फ्यूजन, लैमिनेक्टॉमी इत्यादि
  • Facet सिंड्रोम
  • स्पाइन की अस्थिरता: पुरानी अस्थिरता या चोट के बाद
  • बल्जिंग डिस्क या हर्नियेटेड डिस्क
  • स्पाइनल स्टेनोसिस
  • फ्रैक्चर मैनेजमेंट
  • पोस्टुरल पीठ दर्द

किन मरीजों में ब्रेस या बेल्ट बहुत ज्यादा प्रभावी है

वैसे तो बेल्ट पीठ की बहुत सारी बीमारियों में दिया जाता है पर यह चोट या फ्रैक्चर के इलाज में ,स्पाइन इंस्टेबिलिटी में और ऑपरेशन से रिकवरी में सबसे ज्यादा सहायक है।

Back brace या पीठ की बेल्ट आपके रीड की हड्डी को उचित स्थिति में रखती है जब आप बैठे होते हैं या चल रहे होते हैं या काम कर रहे होते हैं।

क्या ब्रेस या बेल्ट मांसपेशियों को कमजोर करता है?

वैज्ञानिक शोध के अनुसार,कमर दर्द में इन उपकरणों के कुछ संभावित फायदे हैं। बेल्ट या ब्रेस अस्थायी रूप से कार्यक्षमता को बढ़ाने और पीठ की परेशानी को कम करने में मदद कर सकती है।

ये प्राकृतिक रूप से हीलिंग को बढ़ावा देती है।

हालाकि ब्रेस पहनने की कुछ कमियां हो सकती हैं, स्पाइन यूनिवर्स के अनुसार बहुत अधिक अवधि या आवृत्ति के साथ बैक ब्रेस पहनने से पीठ और पेट दोनों की मांसपेशियों का नुकसान और कमजोरी हो सकती है। पर हाल ही के वैज्ञानिक प्रमाणों में यह पता चला है इस तरह की कोई कमजोरी बैक ब्रेसलेट बेल्ट पहनने से नहीं होती है।

कुछ लोग मानसिक तौर पर अपनी सामान्य गतिविधियों को पूरा करने के लिए बेल्ट पर आश्रित महसूस कर सकते हैं या मनोवैज्ञानिक तौर पर इसकी लग सकती है।

बेल्ट से मांसपेशियां कमजोर ना हो इसके लिए क्या करें?

यह जरूरी है कि बेल्ट पर बहुत अधिक निर्भर ना हो और इसे निर्देशित से अधिक समय तक ना पहने। अपने डॉक्टर के द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें।

और अगर आप बैक ब्रेस पहनते हैं तो मांसपेशियों की कमजोरी को दूर करने के लिए कदम उठाए जैसे —

  • अपनी पीठ को सीधा रखें और बैठते समय अपनी मुद्रा(posture) सही रखें, जिससे आपको अपनी पीठ और पेट की मांसपेशियों को मजबूत रखने में मदद मिल सकती है।
  • कार्डियो और कोर स्ट्रैंथनिंग व्यायाम करके मांसपेशियों को एक्टिव रख सकते हैं, परंतु इसके लिए पहले अपने चिकित्सक से जरूर सलाह लेवे, कि आपके रोग के अनुसार क्या आप इसे कर सकते है या नहीं।
  • निचली कमर की स्ट्रेचिंग व्यायाम जैसे पेल्विक टिल्ट, पार्शियल कर्ल आदि करके मांसपेशियों को सजीव और प्रगतिशील बनाए रखा जा सकता है।
  • अगर आपको यह दुविधा है कि आप बेल्ट पर मानसिक रूप से आश्रित हो रहे हैं तो इसके लिए अवश्य चिकित्सक से संपर्क करें।

क्या बेल्ट सोते समय भी पहनना चाहिए?

बेल्ट या ब्रेस के साथ सोना एक विवादास्पद विषय है, सामान्यता सोते समय बेल्ट या ब्रेस पहनने की जरूरत नहीं होती है पर कुछ परिस्थितियों में जैसे फ्रैक्चर के बाद या तीव्र स्पाइनल इंस्टेबिलिटी, या कुछ स्पाइन सर्जरी के बाद चिकित्सक आपको कुछ दिनों तक बेल्ट पहनने की सलाह दे सकते हैं अतः बेल्ट रात में पहनने का निर्णय चिकित्सक की सलाह से लेना चाहिए।

बेल्ट या ब्रेस लगाकर सोते समय कुछ ध्यान रखने योग्य बातें

  • जब आप सोने जाएं तो पहले बिस्तर के किनारे पर बिस्तर की तरफ पीठ करके दोनों पैर लटका कर बैठ जाए फिर दोनों पैर एक साथ उठाकर बिस्तर पर रखें और घूम कर लेट जाएं, अगर आप खुद पैर उठाकर ऊपर रखने में अक्षमता महसूस करते हैं तो किसी की मदद ले सकते हैं।
  • अपने घुटने के नीचे तकिया लगाए यह आपके रीढ़ की हड्डी पर होने वाले दबाव को कम करता है।
  • अगर आप ड्रेस पहन कर सोते हैं तो डॉक्टर आपको करवट लेकर सोने की सलाह देते हैं करवट लेने के बाद दोनों घुटनों के बीच में एक तकिया रखना चाहिए जिससे स्पाइन पर खिंचाव कम पड़ता है।
  • अगर आप रात में ब्रेस पहन कर सोते हैं तो यह सुनिश्चित करें कि आपकी पीठ ठंडी और सूखी हुई होनी चाहिए क्योंकि नमी की वजह से खाल के इन्फेक्शन और अल्सर पैदा होने की संभावना बनी रहती है किसके लिए आप टेलकम पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं और हर 2 घंटे में करवट ले सकते हैं। ब्रेस के अंदर शर्ट पहनने से भी खाल का इरिटेशन कम होता है। और इंफेक्शन की संभावना कम होती है।

अंतिम वाक्य

सामान्य परिस्थितियों में बेल्ट या ब्रेस को रात में पहनने की सलाह नहीं दी जाती है परंतु कुछ परिस्थितियों में चिकित्सक आपको इसे रात में पहनने की भी सलाह दे सकते हैं अतः ब्रेस को पहनने का पूरा प्रोटोकोल चिकित्सक से अच्छी तरह समझ लेना चाहिए और ठीक होने के साथ जल्दी से जल्दी चिकित्सक की सलाह से ब्रेस को हटा देना चाहिए। अगर आप इसे हटाने में अपने आप को असमर्थ पाते हैं या आपको इसकी लत लग रही है तो चिकित्सक से तुरंत संपर्क करना चाहिए। ब्रेस पहनने के दौरान उचित व्यायाम करके मांसपेशियों को गतिमान रखें और खाल की समस्या से बचने के लिए ड्रेस के नीचे कॉटन की शर्ट पहने जो टाइट फिट हो और ब्रेस के नीचे तक जाती हो, आप टेलकम पाउडर का इस्तेमाल ब्रेस के नीचे कर सकते हैं पर लोशन या मलहम लगाकर ब्रेस न पहनें।

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5 शानदार स्ट्रेचिंग व्यायाम जो सियाटीका के दर्द में राहत पहुंचा सकते हैं

सायटिका के सामान्य कारणों में डिस्क स्लिप, रीढ़ की हड्डी में जगह कम होना (स्पाइनल स्टेनोसिस कहा जाता है), और चोट शामिल हो सकती है।

साइटिक तंत्रिका दर्द इतना कष्टदायी हो सकता है कि आप सोफे या बिस्तर से उठना भी नहीं पसंद नहीं करते।

अक्सर, सबसे अधिक समस्याग्रस्त पीठ के निचले हिस्से और कूल्हे होते हैं, जिनको आप ठीक से चला नहीं पाते।

हालांकि यह आपको उल्टा लग सकता है, पर बिस्तर पर आराम करने या दैनिक गतिविधियों के साथ सक्रिय रहने की तुलना में व्यायाम दर्द से राहत पाने में अधिक प्रभावी है।

ये सभी व्यायाम आप अपने घर पर कर सकते हैं।

1हैमस्ट्रिंग स्ट्रेच

यह खिंचाव हैमस्ट्रिंग में दर्द और जकड़न को कम करने में मदद कर सकता है

अपने दाहिने पैर को अपने कूल्हे के स्तर के नीचे एक ऊँची सतह(कुर्सी/स्टूल) पर रखें।
अपने शरीर को अपने पैर की ओर थोड़ा आगे झुकाएं।कमर को सीधा रखते हुए आप जितना आगे जाएंगे, खिंचाव उतना ही गहरा होगा।
कम से कम 30 सेकंड के लिए रुकें, फिर दूसरी तरफ दोहराएं।https://youtu.be/j1QWJqtYjP4

2. पायरी फॉर्मिस स्ट्रेच

Source:verywellhealth

Piriformis मांसपेशी सायटिक नर्व को दबाती है। पिरिफोर्मिस स्ट्रेच दर्द में आराम देता है। Piriformis stretch कई तरीके किया जा सकता है।

  • दोनों पैरों को फर्श पर सपाट करके पीठ के बल लेट जाएं और दोनों घुटने मुड़े हुए हों। दाहिने घुटने के बाएं हाथ से पकड़ कर बाएं कंधे की तरफ खींचे, इस खिंचाव में 30सेकंड तक रोक कर रखे फिर छोड़ दें। अब बाएं घुटने को मोड़कर दाहिने हाथ से पकड़कर दाहिने कंधे की तरफ खींचे,30सेकंड रोकें। बदल बदल कर 20-20 बार करें।https://youtu.be/j1QWJqtYjP4

3. सियाटिक नर्व ग्लाइड व्यायाम

Source:spinehealth

यह व्यायाम साइटिक नर्व को आराम(खिंचाव कम करता है) देता है और आस पास चिपकने से रोकता है।

एक कुर्सी पर सीधे बैठें और अपने दूसरे पैर को फर्श पर सपाट रखते हुए एक घुटने को सीधा करें।
अपने एंकल को धीरे-धीरे ऊपर मोड़े ताकि आपके पैर की उंगलियां आपकी ओर इंगित हों।
अपने पैर की उंगलियों को आप से दूर और फिर अपनी ओर इंगित करते हुए, अपने टखने(ankle) को आगे और पीछे मोड़ना जारी रखें। अगर इसमें कोई दर्द नही हो रहा है या सहने लायक दर्द है
तो सियाटिक नर्व पर अधिक तनाव डालने के लिए, अपने सिर को आगे की ओर झुकाते हुए, अपनी ठुड्डी को अपनी छाती की ओर लाने की कोशिश करें।
अपने टखने (ankle)को 15 से 20 बार ऊपर और नीचे पंप करें और फिर अपने दूसरे पैर से व्यायाम दोहराएं।https://youtu.be/j1QWJqtYjP4

4.घुटना से सीना व्यायाम

Source:parents.com

घुटने से छाती का व्यायाम कूल्हे से निकलने वाली मांसपेशियों को फैलाता है, जिससे पीठ के निचले हिस्से में तनाव और दबाव से राहत मिलती है।

अपनी पीठ के बल लेटते हुए, अपना हाथ एक घुटने के पीछे रखें और धीरे से अपनी छाती की ओर खींचे।
पीठ के निचले हिस्से और नितंब में खिंचाव महसूस होना चाहिए।
5 से 10 सेकंड के लिए खिंचाव की स्थिती में पकड़ें और धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में लौट आएं https://youtu.be/j1QWJqtYjP4

5. लोअर ट्रंक रोटेशन स्ट्रेच

Source:medicalnewstoday

पीठ के बल लेट जाएं और दोनों घुटनों को सीधा रखें और दोनों पैरों को फर्श पर सपाट रखें ।
दोनों घुटनों को एक साथ पकड़ते हुए, अपने घुटनों को एक तरफ घुमाएं और 3 से 5 सेकेंड तक रुकें। आप अपनी पीठ के निचले हिस्से और कूल्हे क्षेत्र के विपरीत दिशा में खिंचाव महसूस करेंगे।
इसके बाद, अपने पेट की मांसपेशियों को सिकोड़ें और दोनों घुटनों को विपरीत दिशा में घुमाएं और 3 से 5 सेकंड के लिए रुकें।
हर तरफ 10 बार तक दोहराएं।https://youtu.be/j1QWJqtYjP4

क्या सायटिका में व्यायाम करने से नुकसान भी हो सकता है?

बहुत सारे डिस्क के विकार है जो सियाटेक नर्व पर दबाव या सियाटीका पैदा करते हैं, इसलिए कोई भी व्यायाम या व्यायाम का कोर्स शुरू करने से पहले यह पता लगा लेना अत्यंत आवश्यक है कि सियाटिक नर्व पर दबाव किस वजह से है, इसलिए कोई भी व्यायाम शुरू करने से पहले स्पेशलिस्ट चिकित्सक से सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है।

सियाटीका के समाधान को लेकर अपनी अपेक्षाओं को उचित रखें अपनी रीढ़ की हड्डी के साथ कोमल व्यवहार करें और बहुत तीव्रता के साथ व्यायाम न करें अन्यथा सायटिका का का दर्द तेज हो सकता है या फिर कोई अन्य रोग या विकार पैदा हो सकता है। और अगर आपको पैरों में सुन्नता, झुनझुनी या कमजोरी जैसे लक्षण पैदा होते हैं तो रुकें और तुरंत अपने विशेषज्ञ से संपर्क करें।

you can see details of exercise in this video

https://youtu.be/j1QWJqtYjP4

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गर्भावस्था में कमर दर्द के क्या कारण हैं

गर्भावस्था(pregnancy) कई नए लक्षण दिखाई देते है कमर दर्द भी उनमें से एक है।कमर दर्द होने के आसार प्रेग्नेंसी में बहुत होते हैं।लगभग 50% महिलाओं को प्रेग्नेंसी में कमर दर्द होता है।

प्रेगनेंसी के दौरान कमर का दर्द कभी भी हो सकता है पर पांचवें और सातवें महीने में यह ज्यादा होता है। ज्यादातर यह दर्द पेल्विस के पिछले हिस्से कमर के पास में होता है , पर कभी-कभी आगे निचले हिस्से में और आगे और पीछे जांघों में भी हो सकता है।

Pregnancy में कमर दर्द के क्या कारण हैं।

1. हार्मोन परिवर्तन

गर्भावस्था की पहली तिमाही में शरीर में प्रोजेस्ट्रोन और रिलैक्सिंग हार्मोन का स्तर बढ़ता है यह हार्मोन पेल्विस के जोड़ और लिगामेंट को शिथिल बनाते हैं और फैलाते हैं जिसकी वजह से कमर दर्द होता है।

2.मानसिक तनाव

चिंता ,अवसाद और तनाव प्रेगनेंसी में हो सकते हैं जिसकी वजह से मूड चेंज थकान, दर्द होने की संभावना बढ़ जाती है। थोड़ा बहुत चिंता और तनाव प्रेगनेंसी में नॉर्मल है पर अधिक होने पर यह मां और बच्चे दोनों के लिए चिंता का कारण बन सकता है।

3.मुद्रा(posture)

गर्भावस्था में बच्चे के कारण बढ़े हुए वजन की वजह से मां के शरीर का गुरुत्वाकर्षण केंद्र(centre of gravity) आगे की ओर हो जाता है और यह कमर दर्द का कारण बनता है।

4.वजन का बढ़ना

मां का वजन बढ़ने की वजह से स्पाइन,पेल्विस,और कमर पर दबाव पड़ता है, और कमर दर्द का कारण बनता है।

5. अगर पहले से कमर दर्द रहता है

अगर पहले से कमर दर्द के रोगी हैं तो प्रेगनेंसी में यह समस्या और बढ़ सकती है।

गर्भावस्था में कमर दर्द से बचने के उपाय

1.सही मुद्रा का अभ्यास करें

  • जैसे-जैसे पेट में आपका शिशु बढ़ता है, आपका गुरुत्वाकर्षण केंद्र आगे की ओर बढ़ता है। आगे गिरने से बचने के लिए, आप पीछे झुक कर क्षतिपूर्ति(compensate) करते हैं - जिसकी वजह से आपकी पीठ के निचले हिस्से में मांसपेशियों में  तनाव हो सकता है और गर्भावस्था के दौरान पीठ दर्द का कारण बनता है। 

सही मुद्रा के लिए ये अभ्यास करें

  • सीधे और लंबे होकर खड़े हों।
  • अपनी छाती को ऊंचा रखे।
  • अपने कंधों को पीछे की ओर और रिलैक्स रखें।
  • घुटनो को लॉक मत करें।
  • जब खड़े हो तो अच्छे सपोर्ट के लिए दोनो पैर दूर-दूर रख कर खड़े हों(wide stance)
  • अगर आपको ज्यादा देर तक खड़े होना हो तो एक पैर को छोटे पैर वाले स्टूल या पीढ़े पर रखकर खड़े हो और थोड़ी थोड़ी देर तक पैर की अदला बदली करते रहें।
  • ऐसी कुर्सी पर बैठे जिसमें पीठ का सपोर्ट हो या कमर के पीछे तकिया रखिए।
  • 2.कुछ उठाने के लिए सही तरीका अपनाएं
  • पैरों के बीच में दूरी रखकर घुटने मोड़कर झुके और इस दौरान पीठ को बिल्कुल सीधा रखें (पीठ से न झुके)।
  • भारी सामान न उठाएं।
  • 3.इन वस्तुओ का इस्तेमाल करें
  • कम हील वाले जूते पहने (बिना हील वाले नहीं)ऊंची हील का इस्तेमाल ना करें। ऊंची हील के इस्तेमाल से सेंटर आफ ग्रेविटी और आगे हो जाती है जिससे आगे गिरने का खतरा रहता है।
  • मातृत्व सपोर्ट बेल्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं इस बेल्ट का इस्तेमाल का सही परिणाम अज्ञात है पर कुछ लोगों को इससे फायदा हो सकता है।
  • 4. करवट लेकर सोएं
  • पीठ के बल ना लेट कर करवट लेकर सोएं। दोनों घुटने मोड़ सकते हैं पर पीठ को ना मोड़ें। दोनों घुटनों के बीच में तकिया रखें। पेट के नीचेऔर पीठ के पीछे भी सपोर्ट के लिए तकिया रख सकते हैं।

5. गर्म या ठंडे से सिकाई करें

सिकाई से दर्द में आराम मिल सकता है।

प्रीनेटल मसाज मांसपेशियों के तनाव को कम करता है, जोड़ों की चाल में सुधार करता है और मानसिक तनाव कम करता है।

6. भरपूर नींद लें

अच्छी नींद बच्चे के विकास के साथ तनाव कम करता है।करवट लेकर लेटें।

कमर के कुछ खास व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करें

कमर की ,पेट की, जांघ की ,कूल्हे की और पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों की ताकत(strength) बढ़ाने वाले व्यायाम करना चाहिए। यह व्यायाम धीरे धीरे और नियंत्रित तरीके से करना चाहिए।

Strengthening अवस्था को 3 से 10 सेकंड तक रोककर रखें (प्रैक्टिस करे)और व्यायाम को 10 से 25 बार तक दोहराएं।

गर्भावस्था में की जाने वाले कुछ व्यायाम निम्न है

अ. Pelvic tilt(पेट की मांसपेशियों के लिए)

पीठ के बल लेटें,घुटने मुड़े हुए हो और पैर के पंजे जमीन पर टिके हो। अब हाथ लगा कर देखिए आपके निचली पीठ और फर्श के बीच में कुछ जगह है, अब निचली पीठ को नीचे दबाकर यह जगह बंद करने की कोशिश करें।

ब. बांह और पैर उठाना(कमर और कूल्हे की मांसपेशियों के लिए)

दोनों पंजे और दोनों घुटने के बल मुद्रा बनाएं। अब दाहिना हाथ ऊपर और बाया पैर ऊपर उठाएं, थोड़ा देर रोकें और इसी प्रकार दोबारा बाया हाथ और दाहिना पैर उठाए, थोडी देर रोकें,इस प्रक्रिया में रीढ़ को सीधा रखें।

स. वॉल स्क्वॉट(पेट, कूल्हे और जांघ की मांसपेशियों के लिए)

सर, कंधे और पीठ से दीवाल से सट कर खड़े हो, पैर दीवाल से 1 से 2 फीट आगे हैं अब दीवाल से पीठ और सर सटे हुए नीचे की ओर इतना सरके कि आपका घुटना 90 डिग्री पर आ जाए।

इसी पोजीशन में ऊपर की तरफ जाएं, इसको 15-20 बार दोहराएं।

इसके अलावा टहलना और वाटर एक्सरसाइज भी की जा सकती है। और ज्यादा प्रकार के व्यायाम के बारे में जानने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

कब डॉक्टर को दिखाना चाहिए

अगर आपको कमर में तीव्र दर्द 2 हफ्ते या उससे ज्यादा समय से है तो डॉक्टर से अवश्य संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर आपको दर्द निवारक दवाएं दे सकते हैं यहां यह भी ध्यान रखने योग्य है की गर्भावस्था में तेज दर्द, समय से पहले प्रसव पीड़ा या मूत्र नली में इन्फेक्शन की वजह से भी हो सकता है इसलिए यदि तेज दर्द दो हफ्ते या उससे ज्यादा है तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए।

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