
अगर आप किसी योग चिकित्सक से योग को परिभाषित करने के कहें तो आपको विभिन्न प्रकार के उत्तर मिल सकते हैं।कुछ कहेंगे कि योग शरीर में अच्छा महसूस करने का एक तरीका है।कुछ के अनुसार यह एक आध्यात्मिक अभ्यास है और कई कहेंगे कि ये जीवन जीने का एक तरीका है।
लेकिन आपका दृष्टिकोण कुछ भी हो,योग आपके अभ्यस्त(habitual) या अचेतन(unconscious) पैटर्न को जानने और फिर से आकार देने में मदद करता है। योग का अभ्यास अनुशासन,आत्म जांच(self enquiry) और अनासक्ति(non-attachment) जैसी अच्छी आदतों के निर्माण के लिए आधार प्रदान करता है। यह अभ्यास आपको स्वस्थ और संपूर्ण जीवन जीने के लिए सशक्त बनाने का एक मार्ग भी है। युज शब्द जो योग से निकला है जिसका अर्थ है स्पष्टता शांति और खुशी।
पतंजलि के योग सूत्र के अनुसार योग को “मन भटकने की समाप्ति “के रूप में परिभाषित किया गया है।
योग की 8 अंग प्रणाली

पतंजलि के योग सूत्र में ही 8 अंगीय प्रणाली का वर्णन है जो मन से परे जाकर योगिक स्वतंत्रता प्राप्त करने का एक मार्ग है।
ये आठ अंग है।
1.यम(attitude towards environment)
2.नियम(attitude towards ourselves)
3.आसन(physical posture)
4.प्राणायाम(expansion of breath)
5.प्रत्याहार(withdrawal of senses)
6.धारणा(concentration)
7.ध्यान(meditation)
8.समाधि(complete integration)
आपकोयोग का अभ्यास क्यों करना चाहिए

21वीं सदी में ऐसे वातावरण में रह रहे हैं,जहां हमारा दिमाग और तंत्रिका तंत्र(nervous system) लगातार उत्तेजित और कार्यरत रहते हैं,
योग आपके दिमाग को धीमा करने और संतुलन की भावना को बहाल करने के लिए जगह प्रदान करता है
योगा का सबसे दिखायमान लाभ शारीरिक होता है यह आपके शरीर का लचीलापन बनाए रखने ,शरीर को मजबूती प्रदान करने और चलायमान रखने व संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है।
योग के दौरान आपका शरीर पूरी तरह से विभिन्न प्रकार की गतियों से गुजरता है जो तनाव या खराब पोस्चरल आदतों से जुड़े दर्द को कम या समाप्त कर सकते हैं
योग तनाव और विश्राम में मदद करता है
योग का एक और महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह तनाव कम करने में मदद करता है।तनाव का एकत्रित होना आपके तंत्रिका तंत्र को तेज गति से चलाने का कारण बन सकता हैजिससे आराम करना, ध्यान केंद्रित करना और सोना मुश्किल हो जाता है।योग के दौरान आप जिस स्वास व्यायाम का अभ्यास करते हैं वह तंत्रिका तंत्र को आराम देनेऔर हृदय गति को कम करने में मदद करता है। यह बेहतर नींद व बेहतर फोकस बढ़ाने में मदद करता है।
अधिक आध्यात्मिक पृष्ठभूमि वाले लोगों के लिए योग अभ्यास का प्रभाव भौतिक शरीर से परे जाकर भी महसूस होता है।
संक्षेप में योग का अभ्यास करने से शरीर में जागरूकता, लचीलापन,ताकत गतिशीलता और संतुलन में मदद मिलती है,यह तनाव को कम करने,ध्यान को बढ़ाने और अपने स्वयं के साथ एक मजबूत संबंध को बढ़ावा देने में मदद करता है।
योग कैसे शुरू करें

ऐसा नहीं है कि एक जैसा योग सभी के लिए उपयुक्त हो इसलिए अगर आप योगा पहली बार शुरू करना चाह रहे हैं, तो सबसे अच्छा यह होगा की आप अलग अलग तरीके के योगा के प्रारूप पहले आजमाएं और जो भी आपके लिए आप को सबसे उपयुक्त और अच्छा लगे,वह शुरू करें।
यहां पर योग के कुछ मुख्य प्रारूप दिए गए है।
1. अयंगर:जो लोग शरीर के पोस्चर, एलाइनमेंट में बेहतरी और मांसपेशियों की शक्ति और गति बढ़ाना चाहते है,उनके लिए अयंगर योग उपयुक्त है।
2.अष्टांग:इसमें सांस पर काफी जोर दिया जाता है और उसके साथ साथ आसनों को भी तेजतर्रार और शरीर रूप से चुनौतीपूर्ण तरीके से किया जाता है। पारंपरिक क्लासेस में पानी पीने को भी मना किया जाता है और आप अगले मुद्रा पर तभी जा सकते हैं, जब आप ने उससे पहले वाली पूरी कर ली हो।
3. हठयोग: इसमें भी योगासन और स्वांस को शामिल किया गया है,इसकी क्लासेज धीमी चलती है पर योग की मुद्रा को देर तक धारण करना पड़ सकता है जो थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसका हठ या जबरदस्ती से कोई लेना देना नही है।
4.विन्यास योग:यह योग सांस के साथ शरीर की गति को सिंक्रोनाइज करता है। क्लासेज की गति पारम्परिक हठ योगा की तुलना में तेज होती है।
5.कुण्डलिनी योगा:इसयोग में मानव शरीर के भीतर 7 चक्रों का वर्णन किया गया है।कुंडलिनी को जब ध्यान के द्वारा जागृत किया जाता है, तब यही शक्ति जागृत होकर मस्तिष्क की ओर बढ़ते हुए शरीर के सभी चक्रों को क्रियाशील करती है।कहने का मतलब कि इसमें सास और योगा के साथ साथ मेडिटेशन के माध्यम से कुंडलिनी चक्र को जागृत किया जाता है जिससे स्प्रिचुअल लेवल पर भी जीवन में बेहतर होते हैं। कुंडलिनी योगा बिना अच्छे गुरु की सहायता के कर पाना मुश्किल होता है।
6.जीवमुक्ति योग:इसमें मेडिटेशन ,जाप,व डीप लिसनिंग,संस्कृत उच्चारण शामिल है। जो आध्यात्मिक तत्वो और योग की प्राचीन शिक्षाओ को अपने अभ्यास में शामिल करना चाहते है,उनके लिए उपयुक्त है।
7.बिक्रम योग:इसमें दो सांस लेने की तकनीक और 26 योगा पोज उसी क्रम में बार-बार 90 मिनट तक दोहराए जाते हैं।अक्सर शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद के लिए कमरे को 105 डिग्री फॉरेनहाइट पर गर्म रखकर योगाभ्यास किया जाता है।
इन उदाहरणों के अतिरिक्त भी विभिन्न तरह की योगा टेक्निक है जिनमें से आप चुन सकते हैं ।योग का अभ्यास कोई भी हो पर उसमें एक चीज समान है और वह है स्व उपचार(self healing)।
आप चाहे यिन का अभ्यास चुने या फिर विन्यास योग को पसंद करें,किसी भी शैली को करने से आपको अपने अंदर मुड़ने और अपने बारे में अधिक जानने में मदद मिलती है।और आप अपने आसपास के लोगों और दुनिया के लिए अधिक सेवा करने के लिए इच्छुक बनते हैं।
अगर योग की शुरूवात कर रहे हैं तो क्या अपेक्षा करें

कोई भी नया कार्य शुरू करने पर एक्साइटमेंट या बैचैनी होना स्वाभाविक है।आपकी इस समस्या को सुलझाने के लिए यहां पर कुछ सुझाव दिए जा रहे है कि जैसे कहां योगाभ्यास शुरू करना चाहिए, योगा क्लासेस से क्या अपेक्षा करें,और योगाभ्यास को अगले स्तर तक ले जाने के लिए क्या करें।
कहां से शुरु करें
योगा क्लास के लिए ऐसी जगह चुनें जो पास में हो और आप आसानी से पहुंच सकें और आपके टाइम शेड्यूल में उपलब्ध हो,ज्यादातर योग क्लासेस होती हैं:
- प्राइवेट योगा प्रशिक्षक द्वारा
- पास के योगा स्टूडियो में
- आउटडोर योगा
- ऑनलाइन योगा प्रोग्राम और वेबसाइट
- जिम और क्लब में
- कार्यक्षेत्र में(कॉरपोरेट योगा)
शुरू करते समय ऐसा लक्ष्य बनाएं की आप हफ्ते में एक या दो क्लास कर सकें और इसे कुछ महीनों तक जारी रखें। इस तरह आप योग के आसनों और क्लास की निरंतरता के साथ परिचित हो जाएंगे।
एक नए छात्र के रूप में योगा क्लासेस में क्या करें

अपना योगा मैट और पानी साथ लेकर जाएं। जहां गर्मी में क्लासेज होती हैं वहां एक तौलिया भी साथ में रखना चाहिए।
कई योग आश्रम या योग स्टूडियो में नौसिखियो के लिए शुरुआती क्लासेस या मौलिक कार्यशालाए आयोजित की जाती है। यह नौसिखिए और प्रशिक्षित दोनों तरह के छात्रों के लिए समान होती है।यह शुरुआती कक्षाएं धीमी गति वाली होती हैं जिससे आप शरीर के एलाइनमेंट और योगा पोज बनाने में अधिक ध्यान केंद्र कर पाते हैं।
अगर आप नौसिखिए है और योगा पोज से बिल्कुल परिचित नहीं हूं या फिर होने वाली चोटों से आशंकाग्रस्त है तो आप समूह क्लास शुरू करने से पहले अपने लिए अलग से एक योगा इंस्ट्रक्टर की क्लास कुछ दिन तक ले सकते हैं।
योग कक्षा से क्या अपेक्षा करें।
ज्यादातर ग्रुप योगा कक्षाएं 60 मिनट ,75 मिनट, या 90 मिनट की होती है। योगा शिक्षक आपको सांस और योगा पोज के बारे में मार्गदर्शन देते हैं।योग कक्षा का अंत कई मिनट तक पीठ के बल आंखें बंद करके लेटने से होता है जिसे शवासन कहते हैं।इस समय आपका शरीर और सांस पूरी तरह आराम की स्थिति में होते हैं ।शवासन ऐसा अवसर है जिसमें आप योगाभ्यास के भौतिक प्रभाव को अपने शरीर के साथ जुड़ता हुआ महसूस करते हैं।
कक्षा के बाद यदि आपके पास किसी योग मुद्रा या और किसी बात को लेकर कोई प्रश्न है तो उसे योग शिक्षक से अवश्य पूछना चाहिए।
निरंतरता योग में सफलता के लिए अत्यंत आवश्यक है। योग से शरीर में होने वाले भौतिक प्रभावों को अनुभव करें।
जब आप मूल(fundamental) योग मुद्राओं से सहज हो जाए तो आप घर पर भी योगाभ्यास शुरू कर दें।
आप योग वाले दिन और बिना योग वाले दिन अपने शरीर और अपने आसपास में होने वाले प्रभाव में जरूर अंतर महसूस करेंगे।
योग के बारे में एक सबसे अच्छी बात यह है कि आपको योग शुरू करने के लिए किसी विशिष्ट सामान या गियर की आवश्यकता नहीं होती है,केवल पहला कदम उठाने की इच्छा ही वास्तव में इसका पहला उपकरण है।
कैसे योग में अपनी सफलता या प्रोग्रेस को मापें
आपके लिए सफलता का क्या अर्थ होगा?क्या यह शरीर का टोन अप होना या डि -स्ट्रेस होना है?योगा में सफलता मापने के लिए ओवराल एक संतुलित नजरिया होना चाहिए।
शारीरिक सफलता को मापने के लिए यह देखें:
- शारीरिक दर्द या असहजता में कमी
- गति(movements) में सरलता और बढ़ोतरी
- शारीरिक शक्ति और सहनशक्ति में वृद्धि
- बेहतर नींद की क्वालिटी और आदतें, बढ़ा हुआ और स्थिर शारीरिक ऊर्जा का स्तर
- संतुलित वजन का स्तर
- कपड़ों की फिटिंग
- मानसिक सुधार को मापने के लिए यह देखें:
- तनाव और मूड स्विंग में कमी
- भावनात्मक जागरूकता में वृद्धि या भावनात्मक परिस्थितियों में संतुलन
- स्वयं को अधिक जानना और वर्तमान में अधिक जीने की शक्ति या चाहत
- मानसिक क्लैरिटी और लचीलापन
- शरीर में संवेदना और अहंकार की प्रतिक्रियाओं के बारे में गहरी जागरूकता
- सांस की गुणवत्ता पर बेहतर नियंत्रण
अंतिम वाक्य:
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने लक्ष्य क्या बनाया है पर निश्चित तौर पर योगा आपके शरीर और दिमाग को एक साथ लाने का काम करता है,चाहे योगा का कोई भी प्रारूप क्यों ना हो।योगा का समर्पित अभ्यास आपके जीवन के सभी आंतरिक और बाहरी पहलुओं को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रभावित करेगा ।और इसमें धैर्य की भी भूमिका होगी।व्यक्तिगत अभ्यास के गहरे लाभों को महसूस करने में महीनों या वर्षों का समय लग सकता है।
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