
कई बार यह देखा गया है कि रात में लेटते समय हमें घबराहट होने लगती है और सीने में धड़कन बढ़ी हुई महसूस होती है।ये आपको परेशान कर सकता है,पर ये आमतौर पर सामान्य होते हैं और आमतौर पर किसी और गंभीर बीमारी का संकेत नहीं होते हैं।
बहुत से लोगों ये दिन में भी होता है,लेकिन उनका ध्यान उधर नही जाता क्योंकि वे व्यस्त होते हैं। आप इसे महसूस कर सकते हैं जब आप शांत बैठे या लेटे हों।
जब आप बाएं तरफ करवट लेकर लेटते है तो बढ़ी हुई धड़कन और प्रखर रूप से सुनाई दे सकती है। यद्धपि ज्यादातर ये हानिकारक नही होती है,पर कुछ परिस्थितियों में यह हानिकारक साबित हो सकती है और इसका हमें विशेष ध्यान रखना होगा। इस ब्लॉग में हम बात करेंगे कि दिल की घबराहट होने के क्या कारण है और कब हमें सावधान हो जाना चाहिए और तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
रात में दिल के घबराहट के क्या लक्षण होते हैं?

दिल की घबराहट में आप निम्न लक्षणों को महसूस कर सकते हैं।
फड़फड़ाना (fluttering) कुछ लोग इसे सीने में फड़फड़ाहट की तरह महसूस कर सकते हैं। या ऐसा लग सकता है कि जैसे हृदय पलटी मार रहा हो।
अनियमित हृदय गति आपको ऐसा भी लग सकता है कि आपकी हृदय गति कभी तेज हो रही है कभी धीमी हो रही है या फिर बीच-बीच में एक आध बार हृदय की बीट ( धड़कना) बंद होकर फिर से धड़क रहा है इसे missing heart beat कहते हैं।
पूरी ताकत से धड़कन महसूस होना (pounding heart) आपको यह भी महसूस हो सकता है कि आपका हृदय पूरी ताकत से धड़क रहा है जिससे आपको पसलियों पर दबाव महसूस हो रहा है या फिर आपके कानों तक उसकी आवाज जा रही है।
रात में दिल की घबराहट के क्या कारण हो सकते हैं?

१. सामान्यतः तौर पर
२. करवट लेकर लेटने पर
३. चिंता ,तनाव ,डिप्रेशन या पैनिक अटैक होने पर
४. खून की कमी, कम रक्तचाप, डायबिटीज, थायराइड के मरीजों में।
५. उत्तेजक जैसे कैफीन या निकोटीन या साइडोफेड्रिन जैसी दवाएं लेने पर।
६. अत्यधिक वजन मोटापा या बुखार होने पर।
७. पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन या इलेक्ट्रोलाइट इमबैलेंस होने पर।
८. गर्भावस्था या मीनोपॉज के दौरान हार्मोन स्तर बदलने पर।
९. हृदय की समस्या जैसे हार्ट फेलियर , येरिथ मिया, मायो कारडाइटिस, हार्ट अटैक आदि।
दिल की घबराहट होने पर हमें कब डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए?

कुछ समय के लिए और कभी-कभी होने वाली दिल की घबराहट आमतौर पर सामान्य ही होती है। ऐसी घबराहट आमतौर पर खानपान में परिवर्तन और दिनचर्या में परिवर्तन करके नियंत्रित की जा सकती है।
आपको डॉक्टर से अवश्य संपर्क करना चाहिए जब यह दिल की घबराहट लगातार और कई बार हो रही हो या फिर इसके साथ साथ आपको सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना बेहोश हो जाना, सीने में दर्द होना, सर दर्द होना जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हों।
ऊपर दिए गए रिस्क फैक्टर जैसे थायराइड, डायबिटीज आदि भी अगर आप में है तो भी दिल की घबराहट के लक्षण लगातार आने पर डॉक्टर से अवश्य संपर्क करना चाहिए।
दिल की घबराहट को नियंत्रित करने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

जैसा कि ऊपर बताया गया है कभी-कभी होने वाली दिल की घबराहट आमतौर पर कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है। इसको नियंत्रित करने के लिए आप अपने आप यह उपाय कर सकते हैं।
गहरी गहरी सांस लेना लंबी और गहरी सांस लेना शुरू करना चाहिए या मेडिटेशन का भी सहारा ले सकते हैं मेडिटेशन से तनाव और चिंता नियंत्रित करने में काफी मदद मिलती है।
पर्याप्त पानी पिए अगर आपने कम पानी पिया है या डिहाइड्रेटेड है तो आपके हृदय को ज्यादा धड़कना पड़ सकता है खून की चाल को बढ़ाने के लिए, इसलिए डिहाइड्रेशन को नियंत्रित करना आवश्यक है।
बिस्तर पर स्थिति बदल लें या गहरी सांस लेते हुए थोड़ा घूम लें अगर करवट लेकर लेटने में आपको घबराहट महसूस हो रही है तो सीधा लेट जाएं या दूसरी तरफ करवट ले लें या फिर खुली हवा में गहरी सांस लेते हुए थोड़ी देर घूम कर आएं।
रात में होने वाली दिल की घबराहट की रोकथाम के लिए आप क्या उपाय कर सकते हैं?

ऐसा हो सकता है कि आप रात में होने वाले दिल के घबराहट को रोक ना पाए पर कुछ उपाय करके आप उस के जोखिम को कम कर सकते हैं।
- बिस्तर पर जाने से पहले शराब, धूम्रपान या कैफीन का सेवन ना करें।
- बिस्तर में जाने से पहले बहुत ज्यादा खाना खासकर जिसमें ज्यादा कार्बोहाइड्रेट और शुगर हो नहीं खाना चाहिए।
- अगर आपको चिंता या तनाव डिप्रेशन या पैनिक अटैक आते हैं, तो उसका इलाज अवश्य कराएं ,साथ ही साथ मेडिटेशन और दूसरी रिलैक्सेशन तकनीको को भी आजमाएं।
- अपना वजन नियंत्रित रखें।
- खाना खाने के कम से कम 2 घंटे के बाद सोने जाए और अगर करवट लेकर सोने में घबराहट महसूस हो तो बिस्तर पर अपनी स्थिति बदल लें।
अंतिम वाक्य:: दिल की घबराहट आमतौर पर नुकसान नहीं पहुंचाती ,यह सामान्य होती है, पर अगर दिल की घबराहट बार-बार और लगातार हो रही हो और साथ में आपको ऊपर दिए गए रिस्क फैक्टर भी हो या फिर आपको घबराहट के साथ-साथ सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, बेहोश हो जाना ,सीने में दर्द, सर दर्द जैसे लक्षण दिखाई दें तो चिकित्सक से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
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