पीठ की सर्जरी के बाद कैसे बैठना और सोना चाहिए?/How to sit and sleep after spine surgery

अगर आपकी स्पाइन सर्जरी हुई है खास तौर पर अगर ओपन सर्जरी हुई है जैसे कि स्पाइनल फ्यूजन, डीकंप्रेशन, इंटर्वर्टेब्रल डिस्क रिप्लेसमेंट, आदि तो डिस्चार्ज टिकट के साथ-साथ आपको यह भी जानकारी लेकर जाना चाहिए कि सर्जरी के बाद में आपको कैसे बैठना और कैसे सोना है क्योंकि स्पाइन सर्जरी से रिकवरी में सही शारीरिक मुद्रा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

स्पाइन सर्जरी के बाद सोने का सही तरीका क्या है?

स्पाइन सर्जरी के बाद सबसे अच्छी सोने की स्थिति यह है कि आप सीधा पीठ के बल लेटे और दोनों घुटनों के नीचे एक तकिया लगा ले या फिर करवट लेकर लेटे और दोनों घुटनों (थोड़ा मुड़े हुए)के बीच में एक तकिया लगा लें।

अगर आप अपने आप को करवट लेकर लेटने में ज्यादा सहज पाते हैं, यानी आप करवट लेकर लेटने में ज्यादा आराम महसूस करते हैं, तो करवट की पोजीशन में यह जरूर ध्यान रखें कि आपके दोनों पैर और घुटने एक के ऊपर एक हो और उनके बीच में तकिया लगा हुआ हो और घुटने भी थोड़े मुड़े हुए हो साथ ही ऊपर का पैर नीचे वाले से थोड़ा आगे की तरफ हो। और सोते समय अपने हाथ को मोड़ कर सर या गर्दन के नीचे ना रखें।

पीठ के बल और करवट लेकर लेटना ,यह दोनों ही लेटने की स्थिति में आपके कमर और डिस्क पर दबाव कम पड़ता है और ऑपरेशन के बाद हीलिंग में मदद मिलती है। हां ,पेट के बल लेटने से हमें अवश्य बचना चाहिए।

बिस्तर से उठने और करवट लेने में क्या ध्यान रखें?

ऑपरेशन के बाद मरीज को बिस्तर पर अपनी स्थिति परिवर्तित करने में दिक्कत महसूस हो सकती है। बिस्तर पर करवट बदलने के लिए लॉग रोल टेक्निक का यूज़ करें। इससे करवट बदलने में असुविधा कम होती है।

लॉग रोल प्रक्रिया में जब आप करवट ले रहे हैं तो पीठ और पैर दोनों को एक साथ घुमाना चाहिए, सिर्फ पीठ को ट्विस्ट ना करें यानी पूरे शरीर को एक साथ घुमा कर करवट लेना चाहिए।

यह लॉग रोल तकनीक बिस्तर पर जाने और बिस्तर से उतरने में भी प्रयोग करना चाहिए।

उदाहरण के लिए अगर आप बिस्तर से दाहिनी तरफ उतरना चाहते हैं तो सबसे पहले पूरे शरीर को एक साथ मोड़कर दाहिनी तरफ करवट ले ले, उसके बाद दाहिनी कोहनी पर दबाव डालते हुए धीरे से उठे और बाएं हाथ से सपोर्ट करके दोनों पैर बिस्तर के किनारे लटका लें। बिस्तर के किनारे आने पर दोनों पैरों को पहले जमीन पर रखें और दोनों पैरों के बल पर खड़े हो जाएं। खड़े होने के लिए पीठ की ताकत का इस्तेमाल ना करें।

स्पाइन सर्जरी के बाद कुर्सी डेस्क पर कैसे बैठना चाहिए?

स्पाइन सर्जरी के बाद देर तक बैठकर काम करना आपके लिए असहज साबित हो सकता है क्योंकि देर तक बैठना आपके रीढ़ की हड्डी और डिस्क पर अतिरिक्त तनाव डालता है।

इसलिए अपनी रीढ़ की हड्डी को उस आरामदायक स्थिति में बनाए रखना जरूरी है ताकि पीठ को अतिरिक्त दबाव का सामना ना करना पड़े। इसके अतिरिक्त हर आधे घंटे में उठ जाए और 3 मिनट की चहलकदमी या 1 मिनट का स्ट्रेचिंग व्यायाम कर ले।

बैठते समय सर और कंधे को आगे की ओर नहीं निकला होना चाहिए यानी slouching नहीं होनी चाहिए। इस तरह से बैठे ताकि आपके कान ,कंधे और कूलहे एक सीध में हो। कोहनी कुर्सी की आर्म रेस्ट पर आसानी से पहुंचती हो। और बैठते समय घुटनों को कूल्हे के स्तर पर होना चाहिए और पांव जमीन पर टिके हुए होने चाहिए अगर कुर्सी की ऊंचाई व्यवस्थित करने पर भी पर आपके पैर जमीन पर नहीं टिक रहे हैं, तो स्टूल या अन्य सपोर्ट की सहायता ले सकते हैं।

बहुत मुलायम कुर्सी या सोफा पर ना बैठें क्योंकि उसमें आपके कूल्हे का स्तर घुटने के स्तर के नीचे चला जाता है जो रीड की हड्डी पर अतिरिक्त दबाव पैदा करता है।

स्थिर कुर्सी की बजाए घूमने वाली कुर्सी(revolving chair) पर बैठना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है क्योंकि घूमने वाली कुर्सी पर बैठने पर आपको घूम कर चीजें उठाने पर आसानी होगी। स्थिर कुर्सी पर आपको पीठ को मोड़कर उठाना पड़ेगा जो रीड की हड्डी और डिस्क के लिए हानिकारक हो सकता है।

जब भी मुड़े तो पूरे शरीर को एक साथ मोड़े शरीर के निचले हिस्से को स्थिर रखकर सिर्फ रीड की हड्डी(पीठ) को मोड़ने से नुकसान हो सकता है। जरूरी वस्तुओं को अपने आसपास ही रखें जिससे कि बार-बार उठकर या शरीर को मोड़ कर उनको उठाने की जरूरत ना पड़े।

बैठने और सोने के ऊपर दिए गए सावधानियों को अगर आप पालन करते हैं तो इससे स्पाइन सर्जरी के बाद रिकवरी में काफी मदद मिलती है। ध्यान रहे बड़ी स्पाइन सर्जरी के बाद सही रिकवरी होने में भी कुछ समय लगता है अतः बताई गई सावधानियां और व्यायाम को सही ढंग से पालन करें ताकि आपको सर्जरी से पूरी तरीके से रिकवर करने में आसानी हो। ऊपर दी गई सावधानियां लगभग सभी बड़ी स्पाइन सर्जरी में लागू होती हैं फिर भी आप अपने केस के लिए अपने चिकित्सक से भी यह सावधानियां और व्यायाम समझ कर उसके अनुसार पालन करें।

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Published by Vivekswarnkar

Dr. Vivek Swarnkar, an Orthopedic Surgeon with more than 15 years of experience.

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