
हालांकि, जबकि आर्थोपेडिस्ट मस्कुलोस्केलेटल स्थितियों को संभालते हैं और रीढ़ के उपचार में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं, न्यूरोसर्जन का ध्यान मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और नसों का इलाज करते है।
आइए यहां इन दो प्रकार के चिकित्सकों के बीच अंतर और समानता का पता लगाएं।
न्यूरोसर्जन और हड्डी रोग सर्जन स्पाइन सर्जरी में विशेषज्ञ हो सकते हैं

रीड की हड्डी के रोगियों के लिए जानना महत्वपूर्ण है आर्थोपेडिक सर्जन और न्यूरो सर्जन दोनों ही स्पाइन की सर्जरी करते हैं।आज रीड की सर्जरी एक उभरता हुआ क्षेत्र है जिसमें दोनों विशेषताओं को शामिल किया गया है।हालांकि कई साल चीजे कुछ अलग थी, आज बड़ी संख्या में ऑर्थोपेडिक सर्जन और न्यूरो सर्जन दोनों ही रीड की सर्जरी के विशेषज्ञ हैं।
रीड की हड्डी में विशेषता वाले ऑर्थोपेडिक सर्जन और न्यूरो सर्जन दोनों ही रीड की हड्डी के डिस्क डिजनरेशन डिस्क हर्नियेशन,स्पाइनल स्टेनोसिस, रीड की हड्डी में फ्रैक्चर, इंफेक्शन,रीड की हड्डी के ट्यूमर आदि की देखभाल करने में कुशल हैं।
न्यूरो सर्जन:
न्यूरोसर्जरी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाले रोगों या विकारों वाले रोगियों के निदान और उपचार की चिकित्सा विशेषज्ञता है। तंत्रिका तंत्र(नर्वस सिस्टम) मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और नसों के साथ-साथ सेरेब्रोवास्कुलर सिस्टम की सर्जरी करता है।
एक न्यूरोसर्जन एक विशेषज्ञ होता है जो पूरे तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली स्थितियों का इलाज करने के लिए सर्जरी करता है। न्यूरोसर्जन अपने सर्जिकल अभ्यास को ब्रेन सर्जरी और स्पाइन सर्जरी के बीच बांटते हैं।
आर्थो पैडिक सर्जन:दूसरी ओर आर्थोपेडिक सर्जन रीढ़,पीठ और गर्दन से संबंधित विशेषज्ञ होता है।वह पूरे दिन,हर दिन गर्दन और पीठ पर काम कर रहा होता है। एक आर्थोपेडिक सर्जन रोगी की रोकथाम निदान उपचार से लेकर उसके पूरी तरह ठीक होने तक अनुसरण करता है। वाह भौतिक चिकित्सा के माध्यम से रोगी की प्रगति का लगातार अनुसरण करता है जब तक वह पूरी तरीके से ठीक नहीं हो जाता।
अतः न्यूरो सर्जन और आर्थोपेडिक सर्जन दोनों ही मरीज का स्पाइन के क्षेत्र में अच्छी तरीके से इलाज कर सकते हैं।
स्पाइन के कुछ क्षेत्रों में दोनों में अंतर है।

कुछ स्थान ऐसे हैं जहां पर अभी भी न्यूरो सर्जन और आर्थो सर्जन में अंतर है, जैसे केवल न्यूरो सर्जन को उसके 6-7 साल के रेजीडेंसी प्रोग्राम के दौरान स्पाइनल कैनाल के अंदर dura से जुड़ी हुई बीमारियोंकी सर्जरी करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। इसी प्रकार स्पाइनल कॉर्ड टयूमर , आर्कनाइड सिस्ट श्रीनगोमायलिया, चिआरी मालफोर्मेशंस, टेथर्ड स्पाइनल कॉर्ड, स्पाइना बिफिडा, स्कल बेस और ऊपरी सर्वाइकल स्पाइन टयूमर,नर्व रूट टयूमर,आदि भी न्यूरोसर्जन के विशिष्ट कार्य में आती है।
वहीं पर बच्चो की और वयस्क की स्कोलियोसिस,और दूसरी स्पाइनल डिफॉम्रिटीज अभी भी ऑर्थोपेडिक सर्जन के द्वारा इलाज किया जाता है।
आज मरीज के पास विकल्प है।

वर्तमान में, एक रोगी को एक न्यूरोसर्जन पर आश्रित रहने की ज़रूरत नहीं है जो “ज्यादातर मस्तिष्क की सर्जरी और थोड़ी सी रीढ़ की सर्जरी” करता है या एक आर्थोपेडिक सर्जन जो ज्यादातर “ज्वाइंट सर्जरी और थोड़ी सी रीढ़ की सर्जरी” करता है। एक रोगी आज या तो एक न्यूरोसर्जन या एक आर्थोपेडिक सर्जन के साथ परामर्श ले सकता है ।
मरीज को अपने आर्थोपेडिक सर्जन या न्यूरो सर्जन से उसके सर्जिकल फोकस अनुभव ,ट्रीटमेंट के बारे में अवश्य पूछना चाहिए ,इसमें हिचकिचाहट का अनुभव नहीं होना चाहिए। बात करने से डरिए मत क्योंकि आपका शरीर आपकी रीढ़ की परेशानी का सवाल है।
संक्षेप में
ऑर्थोपेडिक सर्जन और न्यूरो सर्जन दोनों ही पीठ और गर्दन की समस्याओं के इलाज के लिए योग्य हैं। हालांकि प्रत्येक सर्जन की उस फील्ड में उप विशेषता की पहचान करना महत्वपूर्ण है।
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